ऐक ऐक सखये बाई नवल मी सांगू काई |
त्रैलोक्याचा धनी तो हा यशोदेसी म्हणतो आई ||धृ||
देवकीने वाहिला यशोदेने पाळीला |
पांडवांचा बंदीजन होऊनिया राहिला ||२||
ब्रम्हांडाची सांठवण योगियांचे निजधन |
चोरी केली म्हणुउनी उखळासी बंधन ||३||
सकळ तीर्थे जया चरणीं सुलभ हा शूळपाणी |
राधिकेसी म्हणे तुझी करीन वेणीफणी ||४||
शरण एका जनार्दनीं कैवल्याचा मोक्षदानी |
गाई गोप गोपिबाळा मेळविले आपुलेपणी ||५||
aik sakhaye bai naval mi sango sangu kai kayi trailokyacha dhani yashodesi mhanato mhanto aai aayi
aik sakhaye bai naval mi sango sangu kai kayi trailokyacha dhani yashodesi mhanato mhanto aai aayi
No comments:
Post a Comment