आवाहन

Friday, April 25, 2014



माझें अचडें बचडें छकुडें गे राधे रुपडें | पांघरुं घालीतीं कुंचडें ||धृ||
हरी माझा गे सांवळा | पायीं पैंजण वाजे खुळखुळा | याने भुलविल्या गोपीबाळा ||२||
हरी माझा गे नेणता | करी त्रिभुवनाचा घोंगता | त्रिभुवनी नांदे जो का ||३||
ऐसे देवाजीचे गडी | पेंद्या सुदामाची  जोडी | बळीभद्र त्याचा गडी ||४||
जनी म्हणे तू चक्रपाणि | खेळ खेळतो वृन्दावनी | लुब्ध झाल्या त्या गौळणी ||५||

maze majhe achade bachade chakude ge radhe rupade pangharu ghaliti kuchade janabai sant namayachi jani 

No comments:

Post a Comment