आवाहन

Thursday, April 24, 2014

निरखित निरखित गेलिये | पाहे तंव तन्मय झालिये ||धृ||
उन्मनीं मन निवालें | सांवळे परब्रह्म भासलें ||२||
रूप येवोनियां डोळां बैसलें | पाहे तंव परब्रह्म अवतरलें ||३||
बापखुमादेविवरू विठ्ठलें | मूस ओतुनियां मेण सांडिलें ||४||

nirkhit nirakhit geliye pahe tanv tanmay zaliye

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