लक्ष लाऊनि अंतरी | कृष्णा पाहती नर नारी |
लावण्यसागरू हरी | परमानंदु ||१||
छंदे छंदे वेणू वाजे | त्रिभुवनी घनु गाजें |
उतावेळ मन माझें | भेटावया ||धृ||
ब्रह्मविद्येचा पुतळा | गाई राखितो गोंवळा |
श्रुति नेणवे ते लीळा | वेदां सनकादिकां ||३||
भूतग्रामींचा परेशु | तापत्रयाचा करी नाशु |
आड धरुनी गोपवेषु | वत्सें राखे ||४||
रासक्रीडा वृंदावनी खेळे | इंदुवदन मेळे |
उद्धरी यदुकुळें | कुळदीपकें ||५||
निवृत्तीदासाचा दातारू | बापखुमादेविवरू |
भक्ता देतो अभयकरू | क्षणांक्षणांमाजीं ||६||
laksh lavuni laoni antari krishna krushna pahati naranari lavanya sagaru lavanyasagaru hari paramanandu
No comments:
Post a Comment