आवाहन

Thursday, April 24, 2014


कृष्णे वेधिली विरहिणी बोले | 
चंद्रमा करितो उबारा गे माय |
न लावा चंदनु अंगीं न घाला विंजणवारा | 
हरिविणे शून्य शेजारु गे माये ||१||
माझे जीवीचें तुम्ही कां वो नेणां |
माझा बळिया तो पंढरीराणा वो माय ||धृ||
नंदनंदनु घडी घडी आणा |
तयावीण न वांचती प्राणा वो माये |
बापखुमादेविवरू विठ्ठलु गोविंदु |
अमृतपान गे माये ||३||

 krushne krishne vedhili virahini bole chandrama karito ubara ge maye

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