हरी तुझी कैसी हे खोड ||धृ||
घेउनी चिमुटे मुलांसी पळसी |
गोपी तुज म्हणती हा दोड ||२||
सोडूनी वांसरे गाईसी पाजीसी |
यांत तुज काय मिळती जोड ||३||
आडवा होऊनी गोपीसी धरिसी |
चुंबिता वदन मज म्हणसी सोड ||४||
अशा ह्या चेष्टा नाम्याशी करिसी |
हरी तुझी ऐशी कैशी हे खोड ||५||
hari tuzi tujhi kaisi he khod
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