आवाहन

Sunday, April 27, 2014

आई मज म्हणशील अवगुणांचें | तरी मी काय करितों कोणाचें |
जें जें होणार जयाचें | ते कां मजवरी घालिसी ||धृ||
भट आलासे महाबळ | तेणें वर्णिला जन्मकाळ |
तो चुकला ग्रहमूळ | तेणे त्यासी पीडिले ||२||

माये तीच मावशी | तिनें मज घेतिले वोसंगाशी | 
तिचे अंगी होती विवशी | तिनें तिशी ग्रासिले ||३||
दहीं भात रत्नताटीं | कालवूनि लावीं माझे ओंठी |
जेवितां काग घाली मिठी | धरुनी मुष्टिं रगडीला ||४||
कैसी पाठविली रिठागांठी | ती घातली माझें कंठी |
तेणें माझ्या गळां मिठी | मग म्या दाढे रगडीला ||५|| 

खेळत होतों यमुनेतटी | बक लागला माझे पाठी |
मग मी धरुनी चंचू उपटी | धरणीवरी आपटिला ||६||
आई म्यां तुझें काय केंलें | त्वां मज उखळासी बांधिलें |
रांगत रांगत अंगणीं आलों | तेणें वृक्ष उन्मळीले ||७||
ऐसा नाटकी हृषीकेशी | परब्रम्ह दावी यशोदेसी |
विष्णुदास नामा अहर्निशी | हृदयकमळी पहातसे ||८||

aai maj mhanashil avagunanche tari mi kay karto karato konache kunache je honar jayache te ka majavari ghalishi

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