पंढरपुरीचा निळा लावण्याचा पुतळा |
विठो देखियेला डोळां बाईये वो ||१||
वेधलें वो मन तयाचियां गुणीं |
क्षणभर न विसंबे विठ्ठलरुक्मिणी ||धृ||
पौर्णिमेचे चांदणे क्षणक्षणा होय उणे |
तैसे माझें जिणें एका विठ्ठलेंविण ||३||
बापखुमादेविवरू विठ्ठलची पुरे |
चित्त चैतन्य मुरे बाईये वो ||४||
pandharapuricha nila lavanyacha putala vitho dekhiyela savala baiye bai ye vo o dnyanadev dnyaneshwar
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