आवाहन

Monday, April 7, 2014


रडते माझें बाळ तान्हे।
समजाविता राहीना।।धृ।।
नानापरी समजाविते। 
मागेल ते खाया देते।
थापटोनी जोजविते।
परी हा ऊगा राहीना।।१।।
नानापरी घेतो छंद।
रडतसे स्फुंद स्फुद।
नेञावाटे वाहे बुंद।
परी हा ऊगा राहीना।।२।।
अंगी भरोनीया दम।
सर्वअंगी फुटला घाम।
एका जनार्दनी प्रेम।
यशोदेसी माईना।।३।।

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