आवाहन

Saturday, April 12, 2014

बाळक्रीडा  अभंग क्र.२

मनोरथ जैसे गोकुळींच्या जना | पुरवावी वासना तयापरी ||१||
रिण फेडावया अवतार केला | अविनाश आला आकारासी ||२||
शीण झाला वासुदेवदेवकीस | वधी बाळे कंस दुराचारी ||३||
दुराचारीयांसी नाही भूतदया | आप पर तया पाप पुण्य ||४||
पुण्यकाळ त्यांचा राहिलासे उभा | देवकीच्या गर्भा देव आले ||५||
गर्भासी तयांच्या आले नारायण | तुटलीं बंधने आपोआप ||६||
आपोआप बेड्या तुटल्या शृंखळा | बंदाच्या आर्गळा कुलुपें कोंडे ||७||
कोंडमारा केला होता बहु दिस | सोडवी निमिष न लागतां ||८||
न कळे तो तया सांगितला भाव | आपणासी ठाव नंदाघरी ||९||
नंदाघरी जातां येतां वसुदेवा | नाहीं झाला गोवा सवें देव ||१०||
सवें देव तया आड नये काही | तुका म्हणे नाहीं भय चिंता ||११||
माझी वाणी तुझे वर्णी गुण नाम | ऐसें देईं प्रेम कांहीं कळा ||धृ||

                                                                                   अभंग क्र.३८१०(शिरवळकर)
                       manorath jaise gokulichya jana puravavi vasana tayapari ba;krida balkrideche balkridecha abhang

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