देवासी अवतार भक्तांसी संसार | दोहींचा विचार एकपणे |
भक्तांसी सोहळे देवाचिया अंगे | देव त्यांच्या संगे सुख भोगी |
एका अंगी दोन्ही जाली ही निर्माण | देवभक्तपण स्वामीसेवा |
तुका म्हणे तेथे नाही भिन्न भाव | भक्त तोचि देव देव भक्त ||
भक्तांसी सोहळे देवाचिया अंगे | देव त्यांच्या संगे सुख भोगी |
एका अंगी दोन्ही जाली ही निर्माण | देवभक्तपण स्वामीसेवा |
तुका म्हणे तेथे नाही भिन्न भाव | भक्त तोचि देव देव भक्त ||
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