आवाहन
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Tuesday, April 15, 2014
कोणी सुना कोणी लेंकी | कोणी एकी सतंता ||१||
अवघियांची जगनिंद | झाली धिंद सारखी ||धृ||
अवघ्या अवघ्या चोरा | विना वरा मायबापा ||३||
तुका म्हणे करा सेवा | आलें जीवावरी तरी ||४||
अभंग क्र.
२२५६
(शिरवळकर)
kuni koni suna leki eki satanta
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