वृन्दावनी वेणू कवणाचा माये वाजे | वेणूनादे गोवर्धन गाजे |
पुच्छ पसरुनी मयूर विराजे | मज पाहतां भासती यादवराजे ||धृ||
तृण चारा चरू विसरली | गाई व्याघ्र एके ठाई झालीं |
पक्षी कुळे निवांत राहिली | वैरभाव समूळ विसरली ||२||
शेषकूर्म वराह चकित राहे | बाळा स्तन देऊं विसरली माय ||३||
ध्वनी मंजुळ मंजुळ उमटती | वांकी रुणझुण रुणझुण वाजती |
vrundavani venu kavanacha may vaje venu nade venunade govardhan gaje
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