श्री हनुमंत जन्मकाळ अभंग क्र.६
ऋष्यमुक पर्वतीं अंजनी तप करी | आठविला अंतरी सदाशिव ||१||
तपाचिया अंती शिव झाला प्रसन्न | माग वरदान काय इच्छा ||२||
येरी म्हणे ऐसा व्हावा मज पुत्र | ज्ञानी पवित्र भक्त उत्तम गुणी ||३||
म्हणतसे शिव अंजुळी पसरूनि | बैस माझें ध्यानीं समाधान ||४||
वायुदेव येउनी प्रसाद देईल तुजला | भक्षी कां वहिला अविलंबे ||५||
एका जनार्दनीं घारी नेता पिंड | वायुनें प्रचंड आसडीला ||६||
rushyamuk parvati anjani tap tapa tp kari aathavila antari sadashiv hanuman hanumant maruti
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