आवाहन

Thursday, April 24, 2014

मिळोनी गौळणी | देती यशोदे गाऱ्हाणी |
खोडी करी चक्रपाणि | ऐक यशोदे साजणी ||धृ||
परवां आला आमुचे घरा | दारीं निजला होता म्हातारा |
घेऊनि ताकाचा हो डेरा | फोडिला सैरा त्यावरी ||२||
दुसरी बोले बाई यशोदे | कांही सांगतें तुझिया मुकुंदें |
आमुचें घरा येऊनि गोविंदें | नवल केलें साजणी ||३||
सून होती माझी गर्भिणी | तीस पुसे चक्रपाणि |
कैसी जाहलीस हो गर्भिणी | तंव ती हसू लागली ||४||
जवळ बैसला जाऊनी | पोट पाहे चांचपुनी |
न कळे ईश्वराची करणी | तंव ती झिडकावी ||५||
ऐशा खोडी नानापरी | किती म्हणोनी सांगू सुंदरी |
एका जनार्दनीं आवरीं | आपुलियां कृष्णातें ||६||

miloni gaulani gavalani deti yashode garhani khodi kari chakrapani aik ek yashode sajani

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