आवाहन

Sunday, April 13, 2014

श्री हनुमंत जन्मकाळ अभंग क्र.१


देवांगना हातीं आणविला शृंगी | यज्ञ तो प्रसंगीं आरंभिला ||१||
विभांडका क्रोध आला असे भारी | अयोध्या भीतरी वेगीं आला ||२||
राजा दशरथ समोरा जाऊनी | अतिप्रीति करूनि सभे नेला ||३||
पुत्रास्नुषा दोन्ही देखतां नयनीं |  आनंदला मनीं म्हणे नामा ||४||

devangana hati aanavila shringi yadnya to prasangi aarambhila hanumant maruti hanuman

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