श्री हनुमंत जन्मकाळ अभंग क्र.१
देवांगना हातीं आणविला शृंगी | यज्ञ तो प्रसंगीं आरंभिला ||१||
विभांडका क्रोध आला असे भारी | अयोध्या भीतरी वेगीं आला ||२||
राजा दशरथ समोरा जाऊनी | अतिप्रीति करूनि सभे नेला ||३||
पुत्रास्नुषा दोन्ही देखतां नयनीं | आनंदला मनीं म्हणे नामा ||४||
devangana hati aanavila shringi yadnya to prasangi aarambhila hanumant maruti hanuman
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