गौळणी म्हणती यशोदेला | कोठें गे सांवळा | का रथ शृंगारीला |
सांगे वो मजला | अक्रूर उभा असे बाई गे साजणी ||१||
या नंदाच्या अंगणी | मिळाल्या गौळणी ||धृ||
बोले नंदाची पट्टराणी | सद्गदित होऊनी | मथुरेसी चक्रपाणि |
जातो गे साजणी | विव्हळ झालें मन वचन ऐकुनी ||३||
अक्रुरा चांडाळा | तुज कोणी धाडीला | कां घात करुं आलासी |
वधीशी सकळां | अक्रुरा तुझें नाम तैशीच करणी ||४||
रथीं चढले वनमाळी | आकांत गोकुळी | भूमि पडल्या व्रजबाळी |
कोण त्या सांभाळी | नयनींच्या उदकानें भिजली धरणी ||५||
देव बोले अक्रूरासी | वेगें हांकी रथासी | या गोपींच्या शोकासी |
न पहावें मजसी | एका जनार्दनीं रथ गेला निघोनि ||६||
gaulani gavalani mhanati yashodela kothe ge savala savla ka rath shrungarila sange vo majala akrur akrura aakrur aakrura ubha ase bai ge sajani
Very beautiful.... heart touching
ReplyDeleteThank you very much sir
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